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Showing posts from February, 2017
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                      *******************           प्यार वो हम को बेपनाह कर गये,फिर ज़िनदगीं में हम को,            तन्नहा कर गये, चाहत थी उनके इश्क में,फ़नाह होने की,                पर वो लौट कर आने को,भी मना कर गये..                       *******************
************************************************************** हर मुलाकात को याद हम करतें हैं, कभी चाहत कभी जुदाई कि आह भरते है, यूं तो रोज़ तुम से सपनो मे बात करते हैं पर, फिर से अगली मुलाकात का इन्तज़ार करते है!! ************************************************************** कागज़ पे हमने ज़िन्दगी लिख दी, अशकों से सींच कर खुशी लिख दी, दर्द जब हमने उबारा लफज़ो पे, लोगो ने कहा वाह क्या गज़ल लिख द ी!! ************************************************************** उलफत का अकसर यही दस्तूर होता है, जिसे चाहो वही दूर होता है. दिल टुट कर बिखरते हैं इस कदर, जैसे कोई काँच का खिलोना चूर चूर होता है !! ************************************************************** नज़र ने नज़र से मुलाक़ात कर ली, रहे दोनों खामोश पर बात करली, मोहब्बत की फिजा को जब खुश पाया, इन आंखों ने रो रो के बरसात कर ली !! ************************************************************** तेरी हर अदा मोहब्बत सी लगती है, एक पल की जुदाई मुद्दत सी लगती है, पहले नही सोचा था अब सोच
************************************************************** मेरा दिल धडकता है सिर्फ तुम्हारे लिए, मेरा दिल तडफता है सिर्फ तुम्हारे लिए, ना जाने मै क्यो डरता हूँ आपसे, अपने प्यार का इज़हार करने के लिए !! **************************************************************
मंजिले  उन्ही  को  मिलती  है   जिनके  सपनो  में  जान  होती  है  पंखो  से  कुछ  नहीं  होता  होसलो  से  उडान होती  है॥
बुलबुल  के  परो  में  बाज़  नहीं  होते , कमजोर   और  बुजदिलो  के  हाथो  में  राज  नहीं  होते , जिन्हें  पड़ जाती  है  झुक  कर  चलने  की  आदत , दोस्तों  उन  सिरों  पर  कभी  ताज  नहीं  होते ॥  
दुआ मांगी थी आशियाने की , चल पड़ी आंधियां ज़माने की, मेरे गम को कोई समझ न पाया, मुझे आदत थी मुस्कराने की ॥
बुझने लगी हो आंखे तेरी ,  चाहे थमती हो रफ्तार उखड़ रही हो सांसे तेरी ,  दिल करता हो चित्कार दोष विधाता को ना देना ,  मन मे रखना तू ये आस “रण विजयी” बनता वही ,  जिसके पास हो “आत्मविश्वास”

kon ho tum..

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क्या ये कमरे मे प्रकाश डिम है या , आईने में मेरा उलटा प्रतिबिंब है। मैं पूछता हूँ उससे दाहिना हाथ उठा कर , कि ऐ दोस्त कौन हो तुम  वो प्रत्युत्तर में बाँया हाथ उठाता है और , मुझसे प्रश्न करता है कि भाई तुम कौन हो  असमंजस में पड़ने का सवाल नहीं है। क्या इस आईने जैसा दुनिया का हाल नहीं है। हरेक व्यक्ति को दूसरा यहाँ उलटा लगता है, मुझे बताओ कौन है यहाँ जो सीधा चलता है। दूसरों को उलटा देखना बंद करो , पहले खुद की गलतियां दफन करो । ये जो सब तुम्हें उलटे लगते हैं , असल में ये सब तुम्हारे प्रतिबिंब हैं, देख कर सबको खुद को बदलो ये सब तुम्हारी प्रगति के चिन्ह हैं। ये सोच कर निकल आगे बढ़ गिर के संभल । सफलता तेरे कदम चूमेगी स्रष्टी भी संग तेरे झूमेगी ।

मेरा दोस्त कौन है ?

जब मैं हसा था, कौन मेरे साथ मुस्कुराया था कौन है मेरा दोस्त जो तब मेरे पास आया था जब मै ग्रमज्रदा था, क्या किसी ने आंसू बहाया था या यह है मेरा दोस्त जिसने निशां आसुंओं का मिटाया था

Bewafai ki baad..बेवफाई के बाद

हर ध्‍ड्रकन में एक राज्र होता हर बात को बताने का एक अंदाज्र होता है जब तक ठोकर न लगे बेवफाई की हर किसी को अपने प्यार पे नाज्र होता है 💗